"श्री महादुर्गेश्वर प्रपत्ति"... हिमालय की गोद में....
वैसे तो सावन के सोमवार के दिन महिलावर्ग उपवास रखने और व्रत, पूजा अर्चना करने में व्यस्त रहती है। में हमेशा सोचता था के हम पुरुष ऐसी कोई पूजा अर्चना या व्रत कर सकते है क्या? मेरे तभी मेरे जीवन मार्गदर्शक डॉ. अनिरुद्ध धैर्यधर जोशी याने मेरे प्यारे सदगुरु अनिरुद्ध बापूजी ने हम श्रद्धावान पुरूषो को श्रीरणचण्डीकाप्रपत्ती का मार्ग बतयाला था। हाली में इस प्रपत्ती का स्वरुप बदलके हमें "श्री महादुर्गेश्वर प्रपत्ति" दी। सावन के महिनेमें हर सोमवार को केवल पुरुष श्रद्धावान इस प्रपत्ती को कर सकते है।
जब मैने इस प्रपत्ति के महत्त्व को जाना तभी मैंने ठान लिया की कोई भी एक सोमवार बजाय इसे श्रावण माह के हर सोमवार को करूँगा। क्योंकी पुरुषो का बल वृद्धींगत करनेवाली यह प्रपत्ती है। प्रपत्ती का मतलब आपत्ती का निवारण करनेवाली शरणागती। The word ‘Prapatti’ simply means ‘surrender that relieves of disaster or calamity.’
मात्र हर साल की तरह इस इस साल भी मैं बाइक राइड पर जा रहा था। मेरे लिए बाइक राइडींग किसी योगा से अलग नहीं क्योंकि राइड करते समय आपका मन, बुद्धि और शरीर एकत्रित रूप रूप से कार्यरत होता है। और यदि इसके साथ भगवान् का सुमिरन हो तो यह प्रवास एक अनोखा प्रवास बन जाता है। इस बाईक रायडींग में प्रकृतीस्वरुप भगवान के बहुत नजदिक आता हुं। श्रावण के महिने में मेरी एक तो ट्रिप होती है। क्योकी सारी प्रकृती एक दुल्हन की तरह सजी हुई रहती है और हर जगह चैतन्यमय वातावरण रेहता है।
इस साल मैं हिमाचल प्रदेश स्थित "लाहुल- स्पिति" प्रांत की सफर पर जा रहा था। इस प्रदेश का ६०% हिस्सा यह शीत-शुष्क घाटियों से भरा है। यहाँ शीत-शुष्क घाटियों का उल्लेख मुझे जानबुझ के करना पड रहा है क्योंकि इस प्रांत में प्रपत्ति में लगने वाली कोई सामग्री का जैसे की नारियल, दही, ताजे फूल मिलना मुश्किल था। मेरी राइड का पहला दिन और आनेवाला सोमवार इस में ४ दिन का अंतर था। और इस बीच में बाकी की सामग्री जैसे की गन्ने का टुकड़ा, निम्बू, ककड़ी, केला, शहद, शक्कर, गाजर, अक्षता इन्हें साथ लेकर चल पड़ा। और मन में बहुतसी शंका बोझ लेके मैंने शिमला से सफर चालू किया।
शिमला-नारकंडा-सांगला दो दिनों में पार कर में हरियाली और मुख्य शहरोंसे काफी दूर पहुँचनेवाला था।
सोमवार को मैं इंडो-चायना बॉर्डर स्थित ११९०० फिट ऊंचाई वाले गाँव "नाको" में पहुचने वाला था। और वहाँ नारियल, दही,ताजे फूल मिलने की बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी। उसके पहले रविवार को में काल्पा मैं पहुँच गया था। सामग्री नहीं मिली तो हर सोमवार का प्रपत्ति व्रत खंडित हो जाने की राक्षसी शंका मेरे इर्द गिर्द मंडरा रही थी। काल्पा के लिए जब नॅशनल हाइवे से बाये तरफ अपना काफिला मैंने मोड़ दिया तब ऊपर से हिमाचल परिवहन की बस अपने खास अंदाज मैं मेरी तरफ आती हुई दिखाई दी।
उसकी कॅरियर पर मेरा ध्यान विशेष रूप से गया। वहा लिखा था "देवभूमि हिमाचल"। मन ही मन में अपने सदगुरु से गुहार लगाई, प्रभु लाज रखना। अगर हिमाचल देव भूमि है तो मेरी याचना सुनलो प्रभू "श्री महादुर्गेश्वर प्रपत्ति"हर सोमवार को करने का मेरा मानस आपही पूरा कर लीजिए।और जैसे ही मन में इस वाक्य की समाप्ति हुई मेरी बाइक काल्पा के निचे स्थित रेकॉंग पिओ गाव के एक दूकान जा पहुंची, और मेरा विश्वास ही नहीं बैठ रहा था, उस दूकान में मुझे चाइये था वह नारियल दिख रहा था साथ ही ककड़ी, गाजर भी था।
ताजी सब्जियोंका भोग लगाने की मनीषा से मैंने आवश्यक सामग्री पुनः खरीद ली। मेरी ५०% चिंता दूर चुकी थी। अब सवाल था सफ़ेद और पिले फूलों का। जैसे ही मैं काल्पा के हॉटेल पहुंचा मेरी फूलों की चिंता भी मिट गयी थी क्योंकि हॉटेल का बगीचा पिले और सफ़ेद रंग की फूलोंकी चादर ओढ़े मेरा स्वागत कर रहा था।
होटेल मालिक ने बताया की कल सुबह आपके रूमसे ही आपको किन्नौर कैलाश के दर्शन होंगे।
मैं इन घटनाक्रमोंसे काफी अचंबित हुआ था। सोमवार साक्षात किन्नौर कैलाश का दर्शन
और साथ ही नारियल,ताजे फूलोंकी चिंता भी दूर हो गयी थी। इसी वक्त पूज्य संत आद्य पिपाजी ने मराठी में लिखा हुआ भक्ति गीत याद आया।
" पुष्प उमलले जे माझे वाहिले तुलाची, तुला तुझे देतानाही भरून मीच राही"
भावार्थ : भले ही मैंने अपने बगीचे का फूल (जीवन) तुझे (भगवान् को) अर्पण किया है, किन्तु यह सब तेरा ही है, और तेरा तुझेही अर्पण करके मैं कृतार्थ हो रहा हूँ। बहुत ही मन लुभावन अनुभव को साथ लेके मैंने अपने अगले पड़ाव को जारी रखा।
काल्पा से नाको केवल १०० किमी पहुँचने के लिए शाम हो गयी।
पंचामृत के लिए दूध और दही भी मिला। सूर्यास्त होते ही मैंने अपने दोस्त अमित चटर्जी की मदत से "श्री महादुर्गेश्वर प्रपत्ति" पूरी की। मैंने की यह कहना ठीक नहीं होगा बल्कि साक्षात मेरे सदगुरुने मुझसे इस प्रपत्ति को करवा लिया था। इस अनुभव को अमित की मदत से फोटो के जरिए अपनी स्मृति में मैंने हमेशा के लिए स्थिर किया ।
हिमायल में कैलाश का दर्शन के बाद बम बम भोलेनाथ के जाप से मेरी प्रपत्ती पुरी हुई। इसका मुझे बहुतही आनंद हुआ। श्री महादुर्गेश्वर प्रपत्ती करना बहुतही आसान बात है। इसकी सभी जानकारी आपकॊ श्री महादुर्गेश्वर प्रपत्ती की पुस्तीका में मिल सकती है। य पुस्तिका आपको ऑनलाईन पढने के लिए http://www.e-aanjaneya.com/productDetails.faces?productSearchCode=MDPHIN पर उपलब्ध है।
यह प्रपत्ती करने के लिए श्रद्धावान ड्रेस होना (सफेद लुंगी, सफेद शर्ट, उपरना) आवश्यक है। यदी यह उपलब्ध ना भी हो फिर भी उपरना पेहनाभी श्रेयस्कर है।
इसके सामग्री में जैसे मेने पहले बताया कुछ सामग्री लगती है उसकी सूची इस पुस्तीका में दि गयी है। उसे एक ताम्हण या थाली में सजाए।
इस प्रपत्ती के लिए "चण्डीकाकुल" का फोटी भगवान "त्रिविक्रम" का फोटो चौरंगपर रखना है।
उसके साथ हम अपने आराध्य देवता या सदगुरु का फोटो भी रख सकते है। इसकी उपासना भी बहोत आसान है।
इसमें हमे गुरुक्षेत्रम मंत्र पाच बार बोलना है। फिर श्री नमो भगवते श्री महादुर्गेश्वर नमः इस मंत्र का जाप १२ बार करना है। फिर हमे इस प्रपत्ती की कथा पढनी है। इस कथा के अनुसार, आदिमाताने अनसूयाने कहा है, इस प्रपत्ती को निष्ठापूर्वक करनेसे हमारे दुख और दैर्बल्य दूर होने लगेगे और कली के प्रभाव से मुक्त होकर फिर एक बार बलसंपन्न एवं सुखसंपन्न बन जाओगे। इह कथा पुस्तक में ही पढनी चाहीए। इसके बाद हमे द्वादश ज्योतीर्लिंग आरती करनी है। पुरे शरिर में रोम रोम जागृत करने वाली यह आरती है। आरती के पश्चात "बम बम भोलेनाथ" का जाप करते हुए चण्डीकाकुल की १२ प्रदक्षिणा करनी है।
Great inspiration of following rules made by your Sadguru. Hats off to your Prayas. When Bhav is so pure He appears.
ReplyDeleteReally wonderful Shree Mahadurgeshwar Prapatti poojan carried out by your Sadguru through you to fulfill your utmost desire.
Kudos to your devotion, dedication Onkar.what a great experience you had amongst Nature.
Thanks for sharing.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteSuperbbb... speechless...only Bapu can do this n ur efforts are also appreciated...love for Bapu can do everything in any situation because my Bapu wants only love love love
ReplyDeleteANIRUDDHA Ambadnya
This is simply an awesome experience.while reading the experience only one Sadguru Gvahi goes in mind "Tu ani Mi milun hya jagat ashakya ase kahi hi nahi" great simply great..It's none other than our beloved Dad's Unconditional love
ReplyDeleteThis is simply an awesome experience.while reading the experience only one Sadguru Gvahi goes in mind "Tu ani Mi milun hya jagat ashakya ase kahi hi nahi" great simply great..It's none other than our beloved Dad's Unconditional love
ReplyDeleteThis is simply an awesome experience.while reading the experience only one Sadguru Gvahi goes in mind "Tu ani Mi milun hya jagat ashakya ase kahi hi nahi" great simply great..It's none other than our beloved Dad's Unconditional love
ReplyDeleteAmbadnya for sharing your experience. Our Dad has given us a great gift in the form of this Shri MahaDurgeshwar Prapatti. This is indeed the True Un-Conditional Love of the SadguruMavli. He and He alone knows what is Apt for us and Yes He has indeed given us a big protection cover very much before any crisis arise.
ReplyDeleteI Love You My Dad Forever.
Jai Jagdamb Jai Durge.