Wednesday 19 October 2016

Spiti Bike Ride- 2016 (Day 1 & 2)

स्पीति बाइक राईड : अगस्त २०१६

इस साल स्पिती बाइक राईड पर जाने की कोई खास वजह नहीं थी। पर अगस्त महीने का समीकरण कुछ ऐसा बन गया है की मैं और वॉरहॉर्स (मेरी बाइक) दोनों अपने आप हिमालय की ओर चल पड़ते  है।  यह सिलसिला पिछले चार सालोंसे बरकरार है।  दोस्तोंने भी स्पिती राईड की कल्पना को काफी अच्छा प्रतिसाद दिया।  कुल मिलाके ११ रायडर अपनी मंजिल की ओर निकल पड़े। 


चरण १. देर आए दुरुस्त आए
१२ अगस्त की देर रात सभी रायडर शिमला पहुँच गए थे।  हमें अपनी बाइक्स कल मिलनेवाली थी।  दूसरे दिन १३ तारीख हम जब शिमला स्थित गती KWE ऑफिस पहुंचे तब पता चला की हमारी बहुतसी बाईक क्षतिग्रस्त अवस्था में पाई गयी। 



मेरे पुराने कॉन्टेक्ट लिस्ट से शिमला के बुलेट मेकैनिक से बात हुई। सारी बाईक्स ठीकठाक करने में दोपहर के २ बज गए। असली प्लान के मुताबिक़ हम सुबह ८ बजे शिमला से निकल कर सांगला पहुँचने वाले थे। जबकी वास्तव में हम दोपहर तक शिमला में ही रुके रहे। इतनी देर से निकले या शिमला में ही रुके इसी कश्मकश में हमने शिमला छोड़ने का फैसला ले लिया। सात बजे जहाँ भी होंगे रुक जाएंगे यह फैसला भी हम सबने किया।   


रास्ते में कुफरी स्थित ढाबे पर हम सबने डेरा जमा दिया।  भरपेट खाना खाके हमारा काफिला नारकंडा की तरफ निकल पड़े। 





और जैसे ही हमने फागु से ऊपर घाटी चढ़ना चालू किया तो पुरे रास्ते को कोहरे ने ढका हुआ था।  पार्किंग लाइट्स टिमटिमाते हुए सामने से आती गाड़ियों का अंदाजा लगाकर हम अपनी बाइक्स धीमी गति से कोहरे को चीर के अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे। 




  कुछही समय में बारिश शुरू हो गयी।  मौसम का अंदाजा शिमला में ही लग गया था इसकारण सभी राइडर्स ने अपने रेनकोट पहने के ही रखे थे। बारिश की बूंदाबूंदी से आँख-मिचौली खेलते हम नारकंडा पहुँचे।




बारिश रुकने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी और हम भी।  शाम हो चुकी थी और हम सोच रहे थे की हमें रुकना कहा है।  आखिर में हम सबने रामपुर रुकने का फैसला कर लिया। 

रात आठ बजे हम रामपुर पहुँच गए थे।  अगस्त महीने में पर्यटकोंके कमी के कारण होटल सस्ते मिलते है  इस (हमारी) परिकल्पना के चिथड़े उड़ाते हुए होटल मालकोंसे झुजते हुए  १०००/- रुपए प्रति रूम से हमने रूम प्राप्त कर लिए।  (जबकि हमारा बजेट काफी कम याने ४००-६०० रूपए प्रति रूम का था।) जल्दही खाना खाके हम सो गए।  

चरण २ हरियाली और रास्ता :
सुबह सतलज नदी के उफान से उत्पादित नादध्वनी से हमारी नींद खुल गयी।  जैसे ही मै होटल के टेरेस पर पहुंचा, सतलज नदी का मनोहर दृश्य पाया।  साथ ही साथ विशाल पर्वतपर छायी हरियालीने, कल की सारी मानसिक थकान मिटा दी थी।  






आज का दिन हमें सुबह ९ बजे किसी भी हाल में निकल कर चितकुल पहुंचना था।  मैंने वॉरहॉर्स को लेकर रामपुर बुशहर की सैर कर ली।  पेट्रोल डलवाया।


पूरी एयर मिल नहीं रही थी जिस कारण बाइक चलाने में दिक्कत
रही थी इसलिए मैंने एयर फिल्टर बदल दिया।  हम सबने अपनी बाइक रामपुरस्थित मेकैनिक को दिखा के अपनी अगली मंजिल की ओर निकल पड़े।







आज केवल ११५ किमी ही जाना था। कल शिमला से देर से निकलने और बारिश की वजह से ना ही हमने ज्यादा फोटोग्राफी की थी और ना ही हमने अच्छे से राइड का आनंद उठाया था।  और उसका पूरा हरजाना आज हम किसी भी हालात में पूरा करने वाले थे।  रामपुर से वांगटू और उसके आगे टापरी तक हमने काफी अच्छा समय गुजारा। जगह जगह रुक कर काफी अच्छी फोटोग्राफी भी कर ली थी। 











ठीक बजह तक हम टापरी पहुँच गए थे।  वहाँ पर हमने दोपहर का भोजन कर लिया था।  कल के मुकाबले आज हमने दो घंटे पहलेही खाना खा लिया था। 

भूस्खलन (लैंडस्लाइड) के कारण हम चितकुल गाँव नहीं पोहचने वाले थे इसलिए हमने अपना रुख काल्पा की तरफ मोड़ दिया।  हिमाचल में बाइक सफर करते वक्त आपको इस बात का ख़ास  अंदाजा होना चाहिए की यहाँ के प्लान साक्षात भगवान् ही करते है। आप और हम केवल रंगमंच की कठपुतलियाँ ही है।  इस वक्त हमेशा एक भजन याद आता है।  "अब सौप दिया सारा जीवन भगवान् तुम्हारी हाथो में"                 
टापरी से करचम तक का रस्ता थोडासा कच्चा है।  फिर उसके आगे राली तक ठीकठाक और फिर राली से पोवारी तक वापिस कच्चा रास्ता। शाम बजह तक हम काल्पा पहुँच चुके थे।  










हमारे आधेसे ज्यादा लोग होटल पहुंचे थे जबकि मै अपने कुछ दोस्तों के साथ अभी भी लोकल लोंगो से बातचीत कर रहा था और यह अनुमान लगा रहा था की, क्या हम कल सुबह जल्दी निकल कर काजा पहुँच सकते है या नहीं।  कोई विशेष जानकारी मिलने के कारण हम वापिस होटल पहुंच रहे थे।  तभी रोड से सटकर एक रायडर अपनी बाइककी चैन साफ़ करने में जुटा था।  उसके साथ एक महिला भी थी।  इतने अँधेरे में बीच सड़क उन्हें अकेला देखकर उनको मदद करने की इच्छा से मैंने उनसे पूछताछ की तब मुझे पता चला की "सोल्ड टू हिमालयास " से जाने वाले श्रीमान अमित कुमार से मेरी पहचान हो रही है।  हिमालय का चप्पा चप्पा जाननेवाले अमितजी की मदद करने का इरादा आनेवाले राइड में मेरे बहुतही काम आया।  मेरे जीवन पथदर्शक डॉ अनिरुद्ध धैर्यधर जोशी http://www.aniruddhabapu.in/  इनसे प्राप्त शिक्षा के अनुसार जब भी मैंने कदम उठाए जीवन में अनेक अच्छे अनुभवही पाए।



बिना अच्छे भाई के साथ जब रावण हार सकता है।  और अच्छे भाई के साथ श्रीराम जीत सकते है।  तो हम किस घमंड में है ? सदा साथ रहने की कोशिश करें और सदा विजयी रहे।

अमितजी से ढेर सारी महत्त्वपूर्ण बातें की और साथ ही साथ काल्पास्थित होटल मालिक संजय ठाकुरजी की मुलाकात भी विशेष रूपसे फलदायी साबित हुई। क्योंकि संजयजी की जानकारी के मुताबिक़ आगे हाइवे पेर अक्पा के यहाँ भूस्खलन (लैंडस्लाइड) के कारण सड़क यातायात बंद की थी।  और आगे का रास्ता जगह जगह कच्चा था जिस कारण एक दिन में काजा पहुँचाना सहज नहीं था।  अमितजी के मुताबिक़ कुदरत के नजारोंका आस्वाद लेना भी जरुरी है और काजा की जगह नाको जाके रुके। 


आज यही पर रुकेंगे शेष यात्रा विशेष जल्द ही सादर करने की मनीषा से आपकी इजाजत लेता हूँ।  तब तक आप इस वीडयो का जरूर आनंद ले।  https://www.youtube.com/watch?v=cJoUZS919pg